घर पर ऑर्गेनिक कम्पोस्ट कैसे बनाएं: सरल तरीका
ऑर्गेनिक कम्पोस्ट क्या है?
ऑर्गेनिक कम्पोस्ट प्राकृतिक तरीके से तैयार की गई खाद है, जो मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाती है। इसमें कोई रासायनिक पदार्थ नहीं होता और यह किचन व खेत के जैव अपशिष्ट से तैयार किया जाता है।
ऑर्गेनिक कम्पोस्ट बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
- किचन अपशिष्ट: सब्जियों के छिलके, फलों के छिलके, चाय की पत्तियां
- बगीचे का कचरा: सूखी पत्तियां, घास, टहनियां
- गाय का गोबर (यदि संभव हो)
- मिट्टी और थोड़ी सी पुरानी कम्पोस्ट (स्टार्टर की तरह)
- पानी
- संकलन के लिए एक ड्रम या गड्ढा
घर पर कम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया
चरण 1: स्थान चुनें
छायादार और सूखा स्थान चुनें जहाँ बारिश का पानी न पहुंचे। आप ड्रम या भूमि में गड्ढा बनाकर इसका उपयोग कर सकते हैं।
चरण 2: अपशिष्ट एकत्र करें
किचन और बगीचे के जैविक अपशिष्ट को एक जगह इकट्ठा करें। ध्यान रखें कि प्लास्टिक, काँच या मांसाहारी वस्तुएं इसमें न मिलाएं।
चरण 3: लेयरिंग करें
ड्रम या गड्ढे में अपशिष्ट डालें – एक परत गीला कचरा (जैसे फल-सब्जी के छिलके), फिर एक परत सूखा कचरा (जैसे सूखी पत्तियां)। हर परत पर थोड़ा मिट्टी व पुरानी खाद डालें और थोड़ी नमी बनाए रखें।
चरण 4: नियमित रूप से मिलाएं
हर 7-10 दिन में ढेर को फावड़े से अच्छे से उल्टा-पलटा करें ताकि हवा का संचार बना रहे और सड़न न हो।
चरण 5: तैयार होने में लगने वाला समय
अच्छी देखभाल के साथ लगभग 45-60 दिनों में कम्पोस्ट तैयार हो जाता है। तैयार खाद गहरे भूरे रंग की, मिट्टी जैसी महक वाली और भुरभुरी होनी चाहिए।
कम्पोस्ट उपयोग करने के फायदे
- मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है
- खेत की उत्पादन क्षमता में सुधार
- रासायनिक खाद पर खर्च कम होता है
- फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है
किसानों के लिए सुझाव
यदि आपके पास पशुधन है, तो गाय-भैंस का गोबर जोड़कर कम्पोस्ट की गुणवत्ता और भी बढ़ा सकते हैं। बड़ी मात्रा में बनाने के लिए सामूहिक रूप से कार्य करें या गाँव स्तर पर कम्पोस्ट पिट बनाएं।
निष्कर्ष
घर पर कम्पोस्ट बनाना सरल और लाभकारी है। यह न केवल आपकी फसलों को पोषण देगा, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखेगा।
भारतीय किसानों के लिए कॉल-टू-एक्शन:
आज ही जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाएं! अपने खेत में खुद की बनी कम्पोस्ट उपयोग करें और रासायनिक खादों से छुटकारा पाएं। यदि आप सामूहिक स्तर पर कम्पोस्ट यूनिट स्थापित करना चाहते हैं तो अपने नज़दीकी कृषि अधिकारी से संपर्क करें और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं।